मन्ज़िले

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  कितने मोड़ जिन्दगी के,पता देते मंजिलों का, कितने तन्हां सफर,पता देते काफिलों का। कौन है किसका यहाँ,अपनी सासें भी फरेबी, न पता कुछ जिन्दगी के फलसफों का। आँखों में ख़्वाब ...

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