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विष्णुपद छंद गीत(१६,१० पदांत सलगा १२२ **************************) राह दिखाओ कृष्णा मुझको, रण में सब अपने। कैसे तीर चलाऊंगा मैं, टूटे हैं सपने।। असमंजस में फसा हुआ हूँ, नहीं मुझे लड़ना। तुम ...