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कविता शिकायत राजीव कुमार झा जब किसी से कोई शिकायत रही तुम उसे बताने की जगह हंसती रही तुम्हें मैंने कितनी बार पूछा हमारा मन खुद से कभी नहीं टूटा बरसात ...
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