सौतन बनी सहेली....

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जनार्दन प्रसाद गुप्ता सौरीगृह के बाहर बड़ी बैचेनी के साथ चक्कर काट रहे थे,तभी उनकी विधवा माँ अनुसुइया आकर बोली.... अरे इस बार क्यों घबराता है,हरिद्वार से आए़ ज्योतिषी ने गारण्टी ...

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