१३- जन एकता की भाषा हिंदी- रचना १४

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लग गया अगर दिल फ़िर से मुहब्बत में तो लग जाएंगे ज़माने खुद की जमानत में वो भी खड़ी है मैं भी खड़ा हूं साथ साथ मगर मुलाकात नज़र नहीं आ ...

अध्याय

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