भरोसा, हिन्दी दिवस प्रतियोगिता, लेखनी कहानी -06-Sep-2022

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भरोसा  मन प्रांगण में छल,कपट,प्रपंच चेहरे पर होती है मधुर मुस्कान बातें तो वे हंस - हंस कर करते और पीठ पर रखते खंजर तान शक्ल से लगते कितने ही भोले ...

अध्याय

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