बात जज्बात की

1 भाग

224 बार पढा गया

8 पसंद किया गया

परवाह कब किसी को यहां किसी के हाल की  फिक्र कब किसी को किसी के जज्बात की। सबके लिए कद्र है बस,अपनी जुस्तजू ,  हर तरफ  बह रही, मुश्क अपने ख्यालात ...

×