1 भाग
297 बार पढा गया
16 पसंद किया गया
देख लेना आंखों में कोई ख़्वाब न रह जाए सियासत से दूर कोई मज़हब न रह जाए एक बहाना हमे भी देना नफ़रत करने को कहीं हम मुहब्बत के करीब न ...
Don't have a profile? Create