कवि का sucide note

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जब मन मे मातम छाया था, मैं कुछभी बोल ना पाया था, उस अंधियारे कमरे के भीतर  जब मन का दीप बुझाया था, मैं किससे कहता और क्या कहता यूँ तभी ...

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