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ज़िंदगी दो लफ्जों में जिंदगी चार दिनों की है यारों बात कैसी भी हो भला, ख़ुश रह लो गर, उनकी सूरत नहीं आती नज़र उनकी आवाज़ ही सुन, ख़ुश रह लो ...
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