वतन के प्रति कर्तव्य!

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वो अपनी जाँ पर खेलकर, हमारी जाँ बचाते हैं बिना सोंचे कुछ सरहद पर, दुश्मन से भीड़ जाते हैं। बिना परवाह किये अपनी, हथेली पर जाँ रखकर वतन के ये रखवाले, ...

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