आफताब ढल गया बातों ही बातों में

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आफताब ढल गया बातो ही बातो में  कब सुबह से शाम हुई पता नही बातो ही बातो में तोता मैना की फिर शुरू नई ये कहानी हुई  कभी खत्म न हुई ...

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