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मै प्रकृति हूं... मै प्रकृति हूं... निष्छल,निष्पाप है मेरा अंतर, ममतामयी जननी अनूपा सुंदर , पालती पोसती हूं तुम्हें उम्रभर, तुमसे मांगे बिना ब्याज और कर, हे मानव! तू इतना निर्दयी ...
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