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ग़ज़ल-- *लेके कोई फ़रमान चली* तन्हाईयों का प्यारा सफ़र, राहें वीरान हो चली । गुलशन में मुरझाती कलियां, बगियां सुनसान हो चली । ख्वाबों का उठता बवंडर, जमीन परेशान हो ...