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क्षणिकाएं –३ (१) परछाइयों के साए जिंदगी पे गहरे हैं गम के बादल छाए हैं, और हम अकेले हैं। (२) आज सुबह से गमगीन बहुत हैं हम तेरे आने की खुशी ...
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