नभ ने नीली आँखें खोली, सूरज ने सिगड़ी सुलगाई धुंआ धुंध घाटी में, सर्दी बर्फ़-बर्फ़ मुस्काई सुई नोक से पत्ते बूटे, हरी टोपियां ताने बूँद ओस की अटकें यों, ज्यों मोती ...

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