1 भाग
357 बार पढा गया
11 पसंद किया गया
बगीचे में बैठी निर्मला जी अपनी सोच से बाहर तब आई जब उनकी पोती स्नेहा ने उनकी ऑंखों को अपने दोनों हाथों से बंद कर दिया। "स्नेहा! तुम्हारे स्पर्श को मैं ...
Don't have a profile? Create