मेरे अल्फाज तेरे लब को जब छूकर निकलते हैं।

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मेरे अल्फाज तेरे लब को जब छूकर निकलते हैं। बदन भी कांप जाता है, अश्क बाहर निकलते है। ❤️ अंधेरों से उजालों की तरफ हम लौट आएंगे। उम्मीदों की शुवाएं ज़ुल्म ...

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