1 भाग
407 बार पढा गया
7 पसंद किया गया
*2-काला बाजारी* जिधर मुँह घूमओ उधर कालाबाजारी बादल मंडराते हैंl चारों ओर घनघोर अंधेरा छाया है l झूठ फरेबी इंसानी रूप में काला बाजार का धंधा छाया हैl व्यवहार भी पहले ...
Don't have a profile? Create