लेखनी कहानी -09-Mar-2022

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*2-काला बाजारी* जिधर मुँह घूमओ उधर कालाबाजारी बादल मंडराते हैंl  चारों ओर  घनघोर अंधेरा छाया है l  झूठ फरेबी इंसानी रूप में काला बाजार का धंधा छाया हैl  व्यवहार भी पहले ...

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