आरजू

1 भाग

280 बार पढा गया

11 पसंद किया गया

न ज्यादा आरजू  न कोई ख़्वाहिश, बस इतना ही कहना है, बस हमको सुकुमार ही   भारत की नारी है, ना कोई अवला ना बेचारी हैं, अगर अपने पर आ जाए सारा ...

×