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लेखनी पटल मनहरण घनाक्षरी गीत गीतों का सजाओ साज समां महका दो आज झड़ी बरसाओ ऐसी धूम होनी चाहिए खूब गाओ छंद गीत मुक्त कंठ नव गीत रस बरसे प्रेम का ...