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प्रकृति की बहु-विशेषता, अनूप रूप-सौम्यता यति, गति, सृजन यही, धरा की ये नवीनता।। उन्मुक्त, स्वच्छ नीला नभ, लिए परिधि असीम पर निज की सीमाओं में रह, प्राणी को दे सजीवता।। प्रवाह-मान ...
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