रतनगढ - कहानी दो जहां की (भाग 11)

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निहरिका घबराई सी उसी महल में घूम रही थी। वे अजीब सी आवाजे अब थोड़ी तेज हो चुकी थीं। यहां तक कि वह उसे अपने बेहद करीब महसूस हो रहीं थीं ...

अध्याय

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