3 भाग
653 बार पढा गया
22 पसंद किया गया
' अद्भुत! अनुपम! अहा! क्या यौवन था! क्या सौंदर्य था! ऐसा लगता था मानों प्रकृति साक्षात मानवी का रूप धरकर मेरे सम्मुख आ गई है!\' गंगा नदी के तट पर बैठी ...