1 भाग
280 बार पढा गया
23 पसंद किया गया
2 12 212 212 मिल गईं हैं तों खोना नहींं, बे वज़ह यूं हीं रोना नहीं। महज़ एक बूंद हैं ज़िन्दगी, अश्कों में हीं बहाना नहीं। हैं गुनाहों में लज्ज़त ...