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देख कर आंखें हो रही नम जाने क्यों नहीं आती शर्म लूट आबरू बीच बाजार कन्यादान का करते कर्म भूखे भेड़िये, हैं चहुं ओर आता है बचाओ का शोर आंखें मूंद ...
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