लेखनी कविता -नज़र का मंजर -24-May-2024

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नज़र का मंजर  नज़र को नज़र लगी नज़र की, नीम हकीम वैद्य कि फैल है नज़र भी, यह कुछ बड़ा विचित्र दोष है संसार में, दिल का डॉक्टर भी फैल है ...

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