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भक्ति गजल 122 122 , 122 122 🙏🙏🙏🙏🙏 लिखूँ रोज़ ही एक पाती कन्हैया सभी बात मन की सुनाती कन्हैया। दिए हैं जहाँ ने हमें ग़म भतेरे तुम्हें सोच सब ग़म ...