यादें कसकती हैं रात भर (नज़्म) 25-Apr-2024

1 भाग

20 बार पढा गया

3 पसंद किया गया

यादें कसकती हैं रात भर (नज़्म) यादें कसकती रहीं रात भर, अश्कों का दरिया था बहता रहा। मैं सिसकती रही होठों पे ले हंँसी, नम आंँखों से मोती बिखरता रहा। दर्द ...

×