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काजल ( पूर्णिका-18) प्रारंभी नेह: क्या ज़रूरत है भला ! किसलिए तू सजती संवरती है, उफ्फ़ ये तेरी सादगी ,उसमें तू तो खूबसूरत दिखती है, काजल भी फख्र करता होगा, शायद ...