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12- रविकुलभूषण को महाशक्ति का आशीष (दशमी) घनघोर अंँधेरा छाया था, दिक् नज़र नहीं जब आया था। प्रभु सागर तट पर बैठे हैं, सागर गर्जन उर पैठे हैं। चिंता आ उनको ...