लेखनी कविता -08-Apr-2024

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शीर्षक - स्वैच्छिक पक्षी प्रेम यह तो निःस्वार्थ पक्षी नादान हैं। हम मानव तो स्वार्थ भाव रखते हैं। मोह-माया आकर्षण रिश्ते नाते रहते हैं। ईश्वर ने जन्म नाम जपने को भेजा ...

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