1 भाग
184 बार पढा गया
18 पसंद किया गया
इश्क़ और इंतज़ार कर रहें हैं सभी। जानते बूझते मर रहें हैं सभी। बस यही तो कयामत की है इब्तेदा, देखा सच कहने में डर रहें हैं सभी। कौन ले के ...