ग़ज़ल, दैनिक लेखनी प्रतियोगिता -19-Dec-2023

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ग़ज़ल  #बह्र : 2122  2122  212 #क़ाफिया - आ #रदीफ - हो गया  #मिसरा: आईना भी आज़ झूठा हो गया। कल चमन था आज सूना हो गया। क्यों तुम्हारा यूं  बिलखना ...

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