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ग़ज़ल #बह्र : 2122 2122 212 #क़ाफिया - आ #रदीफ - हो गया #मिसरा: आईना भी आज़ झूठा हो गया। कल चमन था आज सूना हो गया। क्यों तुम्हारा यूं बिलखना ...
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