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*संकट की घड़ी* हुई कोरोनामय यह दुनिया, जीवन पड़ गया ख़तरे में। सजग नहीं यदि,झट जाओगे- खूँखार मौत के जबड़े में।। धरना और प्रदर्शन छोड़ो, राजनीति से मुख मोड़ो। प्राण-सुरक्षा,राष्ट्र-सुरक्षा- पड़ो ...
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