मर्यादा

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 पलकें झुकाकर चलो, घूँघट गिराके चलो,  जीवन भर अपनाना, सारे संस्कार।  क्यों सारी मर्यादा बनी बस औरत के लिए। पुरुष के नाम पर, न कोई संस्कार। यह मर्यादा नही, जंजीरे हैं। ...

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