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हे नारी शक्ति स्वरूपा तुम, मत भूलो अपनी ताकत को। निराला की पत्थर तोड़ती तुम, मत भूलो तुम उस पत्थर को। नहीं है पाषाण जैसा सिर, उस हवसी अत्याचारी का। फिर ...