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ग़ज़ल *तुम प्रीत निभाना* आके मेरे साथिया मुझे भूल ना जाना, उल्फत हुई है तुमसे तुम प्रीत निभाना । राहों में घना अंधेरा सुनसान गली है, आकर मेरे ख्वाबों में मुझे ...
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