स्वछन्द

1 भाग

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आसमान है तेरा!!  स्वछन्द तू विचरण कर ले, संघर्ष कर ऊँची उड़ान भर, क्या है जो बिखर जाएगा, आगे बढ़ प्राप्त कर कायनात, बाँहों को फैला कर अपनी। खोने को कुछ ...

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