माता पिता

1 भाग

387 बार पढा गया

15 पसंद किया गया

हर कदम पर अपने पिता को भूल जाता हूँ। हर कदम पर अपनी माता को रुलाता हुँ।। जिन्होंने दिए जलाये थे अरमानों के।।।।।। अब उनका सिर्फ  चरण स्पर्श करके चला आता ...

×