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विश्व बंधुत्व __________________________ जिंदगी इतनी क्षीण तो नहीं है , रिश्ते इतने विकीर्ण तो नहीं है हम तो रखते हैं वसुधैव कुटुम्बकम् का भाव , सोच इतनी संकीर्ण तो नहीं है ...