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दोहे मजदूर राष्ट्र प्रेम की भूमिका, सहज रखे मजदूर। पेट भरे संसार का, साहस से भरपूर।। निस दिन थोड़े में करे, गुजर-बसर मजदूर। धन्यवाद कर ईश का, हो हर्षित परिपूर।। होता ...
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