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काफी दिखते हैं, मगर चेहरे चेहरों पर, न जाने हैं कितने झूठी आसों से, पकड़े गहरे गहरे हैं, न जाने जख्म कितने! झूठी सी तलाश मगर जारी तो रही किस्मत है ...