कविताएं

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एक सोच अकल से फिसल गयी  मुझे याद थी की बदल गयी मेरी सोच थी की खुवाब था  मेरी ज़िंदगी का हिसाब था। मेरी जुस्तजू की बरस्त थी  मेरी मुस्किलो की ...

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