ख्वाहिश

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तुमसे मिलने की चाहत कैसे कहे। जमाना रिश्तों की जंजीरों में बांधने को कहता है। जब से जाना है तू भी रूबरू है मेरे लिए।  न जाने क्यों दिल बेचैन सा ...

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