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इंतजार स्वेच्छिक रचना आजा रे पिया ! कब से खड़ी इस पार। कब से कर रही मैं तेरा इंतजार। दूर गगन घिर घिर आए बदरा। मौसम हुआ सुहाना, बह रही ठंडी ...
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