305 भाग
44 बार पढा गया
0 पसंद किया गया
माँ ने कहा, “हजार रुपये जो ले चुकी हूँ?” कहा, “वह रुपया लेकर तुम देश चली जाओ। दलाली का रुपया चाहे जैसे होगा मैं चुका दूँगी। आज रात की गाड़ी से ...