राजा की रानी

305 भाग

68 बार पढा गया

0 पसंद किया गया

सुनकर जैसे राजलक्ष्मी के शरीर में काँटे उठ आये, “उन्हीं वैष्णवियों के अखाड़े में? अरे मेरी माँ!- क्या कहते हो जी? उनके विषय में तो भयंकर गन्दी बातें सुनी हैं!” कहकर ...

अध्याय

×