305 भाग
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वैष्णव ने कहा, “क्यों गुसाईं, बात क्यों नहीं करते?” मैंने कहा, “सोच रहा हूँ।” “किसका सोच कर रहे हो?” “तुम्हारे बारे में सोच रहा हूँ।” “यह तो मेरा बड़ा सौभाग्य है।” ...