राजा की रानी

305 भाग

58 बार पढा गया

0 पसंद किया गया

राजलक्ष्मी ने आश्चर्य के साथ कहा, “माफ करो तुम, वह काम निबटते-निबटते तो साँझ हो जायेगी।” “सो हो जाने दो।” राजलक्ष्मी ने हँसते हुए कहा, “ठीक है। ब्राह्मण-भोजन को मेरे ही ...

अध्याय

×